नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका हमारे इस नए लेख में आज हम आपको आइज़क न्यूटन की जीवनी – Biography of Isaac Newton in Hindi के बारे में पूरी जानकारी देंगे।
दोस्तों आपने अपने जीवन में आइज़क न्यूटन का नाम न सुना हो ऐसा होना बहुत ही मुस्किल हैं क्योंकि जीवन के सिद्धांत के रचयिता आइज़क न्यूटन ने ही गति तथा गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का निरूपण किया था। चलिए जानते हैं आइज़क न्यूटन की जीवनी (Biography of Isaac Newton in Hindi) के बारे में!
आइज़क न्यूटन की जीवनी – Biography of Isaac Newton in Hindi
एक दिन न्यूटन बाग में सेब के पेड़ के नीचे बैठे हुए थे । अचानक एक सेब नीचे गिरा । आइजेक ने उसे उठा लिया । वह सोचने लगे कि सेब नीचे ही क्यों गिरा , ऊपर क्यों नहीं उड़ गया । उन्होंने जब ये प्रश्न अपने कुछ विद्वान मित्रों से पूछा तो वे न्यूटन को पागल समझ बैठे । पर वैज्ञानिक तो ऐसे ही सवालों से विज्ञान के सत्य को खोज लेते हैं ।
न्यूटन इस प्रश्न का उत्तर खोजने में डूब गए । न्यूटन की एक सौतेली बहन थी , जिसके कई बच्चे , थे । उनमें से कैथरीन नामक लड़की को उन्होंने गोद ले लिया था । उसका पूरा खर्च न्यूटन ही उठाते थे । वह पढ़ने में तेज थी और सुंदर भी ।
न्यूटन कमरे में बैठे अपने प्रश्न का उत्तर सोचते रहे । कई बार तो वह खाना – पीना तक भूल जाते । एक दिन कैथरीन ने खाना मेज पर लगा दिया । न्यूटन को बुलाया पर वे आए नहीं । तो वह झुंझलाती हुई उनके कमरे में पहुँच गयी।
मामा ! खाना नहीं खाना ? ” कैथरीन ने कमरे में प्रवेश करते ही झुंझलाकर कहा । ” प्यारी बेटी ! तुम खाओ ! मुझे भूख नहीं है । ” न्यूटन ने कैथरीन से कहा ।
” पर भूख क्यों नहीं है ? मामा , तुम रोज ही ऐसे कहते हो । ” कैथरीन ने पूछा । ” बेटी तू जानती नहीं है कि मैं क्या सोच रहा हूँ ? मैं जानना चाहता हूँ कि सेब नीचे ही क्यों गिरा ? अन्य वस्तुएँ भी ऊपर उछालने पर , नीचे क्यों गिर जाती हैं ? ‘ ‘ ” मामा ! एक सेब का गिरना , आपके लिए इतनी बड़ी बात गई कि खाना तक भूल गए ?
” कैथरीन ने कहा । इस पर न्यूटन हँस पड़े । बोले , “ अच्छा , यहाँ बैठ जा । जानती है , ऐसा क्यों होता है ? मैंने उसका उत्तर खोजा है ? दरअसल पृथ्वी में चीजों को खींचने का गुण ” मतलब यह कि ऊपर उछाली हुई वस्तु को पृथ्वी अपनी ताकत से नीचे खींच लेती है ।
” कैथरीन ने कहा । ” हाँ …. पृथ्वी की इसी ताकत को मैंने पहचाना है । दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि पृथ्वी में ऐसी ताकत है जो वस्तुओं को खींच लेती है । ” न्यूटन ने समझाया । ‘ अच्छा ! ” ” और सूरज , चाँद , पृथ्वी सभी ग्रह , एक दूसरे की ताकत से बँधे हुए हैं । पर अब मैं ये सोच रहा हूँ कि किसी भी चीज को पृथ्वी से दूर ले जाने पर , पृथ्वी की ताकत या उसके आकर्षण का असर उस पर कम हो जाना चाहिए । तो फिर सूर्य से पृथ्वी और पृथ्वी से चाँद – उसी ताकत से कैसे प्रभावित होते हैं ? “
” मामा ! कल सोच लेना ! अभी चलकर खाना खा लो ! ” कैथरीन ने कहा । ” अरे ! फिर वही खाने की बात ? ” न्यूटन ने हँसकर कहा— “ ठीक है , मैं तुम्हारी माँ को आज ही पत्र लिखूँगा कि कैथरीन मुझे बहुत परेशान कर रही है । मुझे काम नहीं करते देती । इसे तुम वापस बुला लो । ” ” हाँ … हाँ … लिख देना । ” कैथरीन ने कहा— “ मैं भी तुम्हारी शिकायत लिखूँगी कि मामा ….. मेरी बात ….. ” और दोनों जोर से हँस पड़े । न्यूटन का जन्म सन् 1642 में 25 दिसंबर को हुआ था । उनका पूरा नाम था— आइजेक न्यूटन ।
उनके माता – पिता साधारण किसान थे । दरअसल न्यूटन के जन्म से पहले ही पिता की मृत्यु हो गई थी । उनकी माँ हान्ना ने बड़े लाड़ – प्यार से शिशु न्यूटन को पाला । लेकिन जब न्यूटन दो बरस का हुआ तो हान्ना ने एक पादरी से शादी कर ली । तब न्यूटन का पालन – पोषण उसकी दादी ने किया । जब न्यूटन स्कूल जाने लगा तो दादी को लगा कि अब ये पढ़ – लिखकर कुछ बन जाएगा । पर न्यूटन का मन पढ़ाई में नहीं लगता था ।
वह इधर – उधर की किताबें पढ़ता । तस्वीरों की नकल उतारता । फूल – पत्ते इकट्ठा करता । उसे इन सबसे भी ज्यादा अच्छा लगता— मशीनों और कल पुर्जों के बारे में जानना । न्यूटन की कक्षा में जो सबसे तेज बुद्धिवाला लड़का था , वह शैतान भी बहुत था । एक दिन न्यूटन से उसका झगड़ा हो गया और न्यूटन ने उसे पछाड़ दिया । सभी लड़कों ने न्यूटन की बड़ी तारीफ की । पर न्यूटन को इससे खुशी नहीं हुई । उसने सोचा कि अगर इस लड़के को मैं पढ़ाई में पछाड़ दूँ तो मजा आए।
वही मेरी सच्ची जीत होगी । और न्यूटन ने पढ़ाई में जी – तोड़ मेहनत की । जब वार्षिक परीक्षाफल निकला तो न्यूटन उस लड़के से भी ज्यादा अंक लेकर प्रथम आए थे । लेकिन कुछ नए काम करने या कोई मशीन बनाने की धुन कम नहीं हुई । गाँव में जो पवन चक्की थी , उसकी नकल करके न्यूटन ने एक छोटी पवन चक्की बनाई । उसे हवा से नहीं , एक चूहे द्वारा चलाया जाता था ।
न्यूटन के दोस्तों के लिए यह ‘ खिलौना पवन चक्की ‘ मनोरंजन का साधन बन गई थी । गाँव के स्कूल के बाद न्यूटन शहर के स्कूल में पढ़ने आए । यहाँ उनकी माँ की एक सहेली थी- श्रीमती क्लार्क न्यूटन उनके यहाँ रहने लगे थे । मिस्टर क्लार्क भी न्यूटन को बहुत प्यार करती थी । वह उसकी बुद्धि को भी प्रशंसा किया करती थी । न्यूटन भी क्लार्क दंपती को माता – पिता जैसा आदर दिया करते थे ।
सन् 1661 में न्यूटन ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज में प्रवेश लिया । यहाँ भी न्यूटन ने बड़ी लगन और मेहनत से पढ़ाई शुरू की । गणित न्यूटन का अ प्रिय विषय बन चुका था । धीरे – धीरे गणित में न्यूटन की प्रतिभा निखरने लगी । उसके गणित के अध्यापक मिस्टर बेरी भी उससे बहुत खुश थे ।
इस तरह ट्रिनिटी कॉलेज में चार वर्ष तक पढ़ने के बाद न्यूटन ने बी.ए. की उपाधि प्राप्त की । जिन दिनों न्यूटन ने बी.ए. पास किया उन्हीं दिनों इंग्लैंड में महामारी — ‘ प्लेग ‘ फैल गई । लोग शहर छोड़कर भागने लगे । कॉलेज , स्कूल बंद कर दिए गए । न्यूटन भी गाँव वापस आ गए ।
गाँव में वह करीब डेढ़ साल रहे , क्योंकि महामारी के कारण उनका कॉलेज डेढ़ साल तक बंद रहा । इन्हीं दिनों न्यूटन ने कई महत्त्वपूर्ण खोजें कीं— जैसे पृथ्वी की ताकत यानी गुरुत्वाकर्षण , यंत्र विज्ञान आदि । लेकिन न्यूटन ने अपनी इन खोजों को प्रकाशित नहीं कराया । वह उन पर और अधिक अध्ययन करते रहे । जब कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और उनके कॉलेज खुले तो न्यूटन वापस आए ।
उनकी गणित की प्रतिभा से , उनके अध्यापक प्रोफेसर बैरी इतने प्रभावित थे कि उन्होंने न्यूटन को विश्वविद्यालय में गणित पढ़ाने के लिए नियुक्त करा दिया । पच्चीस – छब्बीस साल के आइजेक न्यूटन को प्राध्यापक का पद मिल जाना बड़े महत्त्व की बात थी । न्यूटन की खोजों का काम चल रहा था । उन्होंने ग्रहों आदि के अध्ययन के दूरबीन भी बनाई थी । पर जब वे उस दूरबीन से ग्रहों को देखते तो लेंस के कोने पर सफेद प्रकाश की जगह रंगीन प्रकाश आता था । यही न्यूटन की परेशानी का कारण था ।
उन्होंने यह ढूँढ़ने का निश्चय किया कि सफेद प्रकाश कितने रंगों का बना है ? एक दिन की बात है । न्यूटन कमरा बंद करके काम कर रहे थे । कैथरीन की समझ में न आया कि वह अंधेरे में क्या कर रहे हैं । उसने दरवाजा खटखटाया । न्यूटन ने दरवाजा खोला । कैथरीन को अंदर बुलाकर फिर से कमरा बंद कर लिया । ” मामा ! आप अंधेरे में ….. क्या कर रहे हैं ? ” ” देखो कैथरीन ! चुपचाप देखती रहो कि मैं क्या कर रहा हूँ ।
” न्यूटन ने कहा । कैथरीन ने देखा कि मेज पर एक तिकोना ठोस कांच रखा है । ऊपर छप्पर के एक छेद से रोशनी आ रही थी । न्यूटन उस रोशनी को , उस तिकोन कांच के टुकड़े ‘ प्रिज्म ‘ से गुजार रहे थे । ‘ देखो … देखो … इधर आकर देखो । छप्पर से आ रही रोशनी , जब इस प्रिज्म से होकर गुजरती है तो रोशनी सात रंगों में बंट जाती है । ” न्यूटन ने सात रंग गिनकर बताए । ” अरे हाँ ! ” कैथरीन ने देखकर कहा ।
” एक बार फिर सातों रंगों के नाम बता दो , मामा । “न्यूटन ने फिर से गिनकर बताया , “ बैंगनी , जामुनी , नीला , हरा , पीला , नारंगी और लाल हैं । ” “ पर सफेद रोशनी के इतने सारे रंग अलग कैसे हुए ? ” कैथरीन ने पूछा । ” जब सफेद रोशनी की किरणें , इस प्रिज्म से होकर गुजरती हैं तो ये टेढ़ी हो जाती हैं । इसलिए ये अलग – अलग दिखाई देती हैं और जब ये सातों रंग मिल जाते हैं , तो रोशनी फिर से सफेद दिखाई देने लगती है ।
इस प्रिज्म वाले प्रयोग को तो मैं भी कर सकती हूँ । ” कैथरीन ने कहा । ” हाँ … हाँ …. कोई भी बच्चा कर सकता है । ” न्यूटन ने कहा । ” मामा ! छप्पर से जो रोशनी आ रही है , ये सूरज की रोशनी है न ? ” कैथरीन ने पूछा । ” हाँ । ” ” इसका मतलब है कि सूर्य की रोशनी में भी सात रंग होते हैं । ” ” शाबास ! बिलकुल ठीक समझा , मेरी बेटी ! वाह …. वाह …. अपने मामा की तरह तू भी समझदार हो गई है ।
” तो फिर आज मेरे साथ डिनर करोगे । ” हाँ ! करूँगा … ! ” न्यूटन ने कहा और दोनों जोर से हँस पड़े ।न्यूटन ने वर्षा के बाद आकाश में दिखने वाले इंद्रधनुष के सात रंगों का कारण भी यही बताया कि सूर्य की किरणों का रंग ही फैलकर इंद्रधनुष के रूप में दिखता है । देखने में न्यूटन एक साधारण व्यक्ति ही थे । उनका कद छोटा था बड़े चौकोर चेहरे की रेखाएँ गहरी थी ।
भौहें मोटी थीं आँखें भूरी और बाहर निकलती सी लगती थी । उनके बाल लंबे थे , पर तीस साल की उम्र में ही सफेद हो गए थे । उनकी नाक काफी लंबी थी । न्यूटन को अपने विचारों में खोए रहने में मजा आता था अपने एक मित्र जॉन कालिन्स को उन्होंने एक बार लिखा था कि मुझे लोगों से मिलने – जुलने में कोई आनंद नहीं आता । न्यूटन जहाँ रहते थे , वहीं नीचे की गली में अपनी प्रयोगशाला बना रखी थी ।
जब भी उनका मन होता , वह देर तक उसमें काम करते रहते । उनके पास इतना काम था कि मनोरंजन के लिए फुरसत ही न थी । वह रात को दो बजे से पहले शायद ही कभी सोए । कभी – कभी तो सवेरे छह बजे सोने जाते थे । उनकी नींद चार या पाँच घंटे से ज्यादा नहीं होती थी । न्यूटन ने एक लड़के को अपना सहायक रख लिया था । उसका नाम था — हम्फ्रे । वह प्रयोगशाला में उनकी मदद किया करता था ।
न्यूटन जब रासायनिक परीक्षण करते तो लगातार पाँच – छह हफ्तों तक उनका काम चलता था । तब एक रात न्यूटन वहाँ ड्यूटी देते और दूसरी रात हम्फ्रे ड्यूटी देता हम्फ्रे ने बाद में लिखा है कि वह नहीं समझ पाता था कि न्यूटन क्या प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं । पर वह कुछ ऐसा अवश्य था जो कि इंसान की समझ और ज्ञान से परे था न्यूटन को अपने कपड़ों का भी खयाल नहीं रहता था ।
भोजन करने के लिए होटलों में शायद ही जाते हों , अगर कभी चले गए तो उनका हुलिया विचित्र होता था बाल बिखरे हुए , जूतों के फीते खुले हुए और जमीन से रगड़ते हुए मोजे गिरे हुए वह चलते कहीं और थे , देखते कहीं और खाना खाते तो पता नहीं क्या सोचते रहते । कभी – कभी उन्हें कोई बात याद आती तो वह भाग कर अपने पढ़ने के कमरे में जाते और नोट करते । पर इसके बाद वह बहुत देर तक खड़े ही रहते । उन्हें बैठने का खयाल हो न रहता । नहाना , दाढ़ी बनाना , कपड़े बदलना तो वह अक्सर ही भूल जाते थे ।
न्यूटन को विश्वविद्यालय से अच्छी तनख्वाह मिलती थी— प्रोफेसर जो थे । इसलिए धन की कमी न रहती थी । हाँ , उनके रिश्तेदार या मित्र अक्सर ही उनसे धन माँग ले जाते थे । न्यूटन इतने उदार हृदय थे कि दिया हुआ धन फिर कभी वापस नहीं माँगा । कुछ दिनों बाद एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक डेकार्ट ने पृथ्वी की लंबाई – चौड़ाई का हिसाब लगाकर जो निष्कर्ष निकाले , वे न्यूटन को ठीक लगे ।
उन्होंने उसी के आधार पर सौरमंडल के ग्रहों की आपसी आकर्षण का सिद्धांत निकाला । इसे इन्होंने ‘ गुरुत्वाकर्षणशक्ति ‘ यानी ‘ पावर आफ ग्रेविटी ‘ नाम दिया । जब उनका यह सिद्धांत प्रकाशित हुआ तो लोग आश्चर्य में पड़ गए । न्यूटन ने सिद्ध किया कि पृथ्वी का हर कण , दूसरे कण के साथ , एक खिंचाव के साथ बँधा है । धरती , जहाँ पेड़ में लगे सेब को अपनी ओर खींचती है , वहाँ फल भी धरती को अपनी ओर खींच रहा होगा ।
यही नियम ग्रह , नक्षत्रों पर भी लागू होता है । सूर्य पृथ्वी को अपनी ओर खींचता है , पृथ्वी चंद्रमा को और चंद्रमा पृथ्वी को इसे उन्होंने गणित के नियम द्वारा सिद्ध किया । उन्होंने कहा कि दो वस्तुओं का परस्पर आकर्षण दो बातों पर निर्भर करता है एक तो इस पर कि दोनों चीजें कितनी भारी हैं । दूसरी यह कि उनमें निकटता और दूरी कितनी है । इस सिद्धांत के प्रकाशन के बाद राबर्ट हुक नामक एक वैज्ञानिक ने दावा किया कि न्यूटन ने ये सिद्धांत उसकी पुस्तक से चुरा लिए हैं । इस झूठे दावे से न्यूटन का मन खिन्न हो उठा । उन्हें यह सब अच्छा नहीं लगा ।
इसलिए जब पृथ्वी की गति , गुरुत्वाकर्षण आदि के बारे में सिद्धांतों का प्रतिवादन किया तो उन्होंने सारे कागज अपने पास ही रख लिए । समय बीतता गया । न्यूटन अपने नोट्स तैयार करते रहे । वैज्ञानिक खोजों के मामले में न्यूटन कुछ निश्चित नियमों का पालन करते थे । आज उसे ही हम विज्ञान – विधि कहते हैं । न्यूटन कहते थे कि विज्ञान में कुछ भी कार्य करने की सबसे अच्छी विधि यही है कि पहले तो वस्तु का निरीक्षण करो , फिर उसके गुणों का परीक्षण करो और उसके बाद अपने निष्कर्ष निकालो ।
न्यूटन ने परीक्षण और सिद्धांत को इस प्रकार मिला रखा था कि एक दूसरे में अटूट संबंध रहे । इस मामले में किसी अन्य विचार , भावुकता या भावातिरेक को उन्होंने स्थान नहीं दिया । उनका कहना था कि हर स्थापना की सिद्धि , पहले से ज्ञात या परीक्षण द्वारा जाने गए तथ्यों के आधार पर ही होती है । सन् 1684 में ग्रह – नक्षत्र विज्ञान के विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक एडमंड हैली , कुछ समस्याओं के बारे में विचार – विमर्श करने के लिए न्यूटन के पास आए ।
जब हैली को मालूम हुआ कि न्यूटन ब्रह्मांड – व्यापी सामान्य गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत को प्रतिपादित कर चुके हैं , तो उन्होंने न्यूटन को इसे प्रकाशित करने के लिए प्रेरित किया । हैली जान थे कि इससे विज्ञान जगत् को बहुत लाभ होगा । हैली यद्यपि स्वयं धनवान व्यक्ति न था , पर उसने पुस्तक के प्रकाशन का खर्चा स्वयं उठाना स्वीकार किया ।
आखिर हैली की प्रेरणा और प्रकाशन की व्यवस्था का आश्वासन पाकर न्यूटन ने अपने शोधकार्य का पुनर्लेखन शुरू किया जिससे उसे पुस्तक के रूप में छापा जा सके । इस काम में उन्हें लगभग सवा साल लगा । उन्होंने अपनी पुस्तक का नाम रखा — ‘ प्रिंसिपिया मेथेटिका फिलासफी नेचुरालिस ‘ अर्थात् ‘ प्राकृतिक दर्शन के गणितीय सिद्धांत ‘ । इसको संक्षिप्त में ‘ प्रिंसिपिया ‘ कहा गया।
इस किताब की गिनती आज भी दुनिया के वैज्ञानिक ग्रंथों में प्रमुख रूप से होती है । इसने एक तरह से लिखित वैज्ञानिक विधि की नींव डाली , जिस पर आज के विज्ञान का इतना बड़ा महल खड़ा है । न्यूटन ने ‘ प्रिंसिपिया ‘ को तीन खंडों में बाँटा था । पहले खंड में गुरुत्वाकर्षण के नियम को प्रतिपादित किया गया था । इसमें उन्होंने एक तरह से गैलीलियो का काम पूरा किया था । गैलीलियो ने गति के जो वैज्ञानिक नियम लिखे थे , वे कई अर्थों में अधूरे थे । न्यूटन ने इन नियमों को गणित के सूत्रों में लिखा था ।
‘ प्रिंसिपिया ‘ के दूसरे भाग में न्यूटन ने पदार्थों की गति का अध्ययन किया । न्यूटन ने यह सिद्ध किया कि एक ठोस पदार्थ , किस प्रकार एक गैस और एक तरल पदार्थ में गतिमान होता है । इसके आधार पर उन्होंने सिद्ध कर दिया कि विभिन्न ग्रहों के बीच कोई रुकावट पैदा करने वाला माध्यम नहीं होता ।
प्रिंसिपिया के तीसरे भाग में ब्रह्मांड के ग्रहों और नक्षत्रों की गतिविधि के बारे में बताया गया है । न्यूटन ने कहा कि “ इस ब्रह्मांड में जो भी नक्षत्र हैं , उनमें जो गति और दिशा है , वह सब बुनियादी नियमों के अनुसार जानी जा सकती है । यहाँ तक कि कौन – सा ग्रह कब , कहाँ , किस स्थिति में होगा , यह भी पहले से ही बतलाया जा सकता है ।
इस तरह न्यूटन के सिद्धांतों ने अनेक रहस्यों पर से पर्दा हटा दिया । उनके कारण एक नई वैज्ञानिक सभ्यता की नींव पड़ी । न्यूटन की खोजों के कारण ही हवाई जहाज , रेल , रेडियो , टेलीविजन , राडार और अंतरिक्ष यान आदि बनाने की दिशा में प्रगति हुई । आज विज्ञान की बुनियाद इतनी मजबूत होने का कारण– न्यूटन की खोजें ही हैं । इसीलिए न्यूटन का विज्ञान जगत् में बड़ा सम्मान हुआ ।
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