आर्किमिडीज की जीवनी और तथ्य | प्रसिद्ध गणितज्ञ

नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका हमारे इस नए लेख में आज हम आपको बताने वाले हैं आर्किमिडीज की जीवनी और तथ्य | प्रसिद्ध गणितज्ञ दोस्तों आपने कभी न कभी तो इनके बारे में सुन ही होगा, आर्किमिडीज को भी इतिहास के दिग्गज वैज्ञानिकों कि सूची में गिन जाता है।

आर्किमिडीज की जीवनी और तथ्य | प्रसिद्ध गणितज्ञ

सिसली द्वीप समूह में सिराक्यूज़ राज्य किसी जमाने में बड़ा प्रभावशाली , धनी और शक्तिशाली माना जाता था । यहाँ का राजा जितना बलशाली यौद्धा था , उतना ही धर्मोपासक भी । वह जब भी किसी युद्ध में विजय प्राप्त करता , तो उसे वह किसी देवता की कृपा मानता और वह इसके बदले उसे कोई स्वर्णाभूषण चढ़ाता ।

एक बार उसने ऐसी ही विजय के उपलक्ष्य में किसी देवता को चढ़ाने के लिए सोने का एक मुकुट बनवाया । जब मुकुट बनकर तैयार हुआ तो राजा को उसकी शुद्धता पर सन्देह हुआ । किंतु मुकुट बहुत सुंदर बना था । इसलिए राजा उसे तोड़े बिना ही उसकी शुद्धता की परख करना चाहता था ।

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उस समय तक ऐसा कोई उपाय किसी को पता न था कि बिना मुकुट तोड़े ही उसकी शुद्धता – अशुद्धता परखी जा सके । आखिर राजा ने अपने राज्य के वैज्ञानिक आर्किमिडीज़ को बुलवाया और अपनी समस्या बताई । स्वयं आर्किमिडीज़ को ही उस समस्या का वैज्ञानिक हल ज्ञात नहीं था । फिर भी उन्होंने कुछ दिनों में सोचकर बताने के लिए कहा।

अब आर्किमिडीज़ उस समस्या का हल हर क्षण सोचने लगे । एक दिन वह नहाने के लिए हौज के पास गए । हौज पानी से लबालब भरा था । वह जैसे हीउसमें घुसे कि बहुत – सा पानी हौज के बाहर गिर गया । बस आर्किमिडीज़ को अपनी समस्या का हल मिल गया था । वह खुशी से चिल्ला उठे — ‘ यूरेका …. यूरेका ….. ‘ अर्थात् मिल गया …. मिल गया ….. जब आर्किमिडीज़ मुकुट की शुद्धता जाँचने के लिए दरबार में आए ।

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राजा के सामने उन्होंने मुकुट को पानी से लबालब भरे बर्तन में डुबोया और जो पानी बाहर गिरा उसे इकट्ठा करके नाप लिया । फिर बर्तन को लबालब भर दिया और मुकुट के वजन का शुद्ध सोना लेकर बर्तन में डुबोया । इस बार जो पानी गिरा उसे भी नाप लिया । इस तरह देखा गया कि दूसरी बार कम पानी गिरा है । यानी पहला पानी सोने के भार के बराबर नहीं है और मुकुट में मिलावट है ।

आर्किमिडीज़ के इस सिद्धांत को ‘ सापेक्षिक घनत्व का सिद्धांत ‘ यानी ‘ ला आफ रिलेटिव डेन्सिटी ‘ कहते हैं । इसका नियम यह है कि कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी या अधूरी डुबोईजाए तो उसके भार में होने वाली कमी , वस्तु द्वारा हटाए गए द्रव के भार बराबर होती है । आर्किमिडीज़ ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के अंतिम दिनों के वैज्ञानिकों में से एक थे ।

वह गणित और ज्यामिति के अच्छे ज्ञाता थे । उन्होंने विज्ञान के अनेक सिद्धांत प्रतिपादित किए थे । पानी में जब कोई चीज डुबोई जाती है तो उसे पानी ऊपर को उछालता है । यदि वस्तु का भार पानी की उछाल शक्ति से कम है तो वह तैरती रहेगी और यदि भार अधिक है तो वह डूब जाएगी । 

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यह सिद्धांत भी आर्किमिडीज़ ने ही दिया था । आर्किमिडीज़ ने पानी में वस्तुओं के तैरने के इस सिद्धांत के आधार पर ही सिद्ध किया कि पानी के भारी – भारी जहाज समुद्र में कैसे तैरते हैं । उन्होंने ‘ लीवर ) का सिद्धांत ‘ भी बनाया था । लीवर और घिरनियों के सहारे जब वे एक जहाज को किनारे तक खींच लाए तो लोगों को विश्वास ही नहीं हुआ कि यह सब किसी वैज्ञानिक सिद्धांत के अंतर्गत संभव है । 

लोगों ने यही माना कि आर्किमिडीज़ के पास अवश्य ही कोई चमत्कारी शक्ति है । इसी सिद्धांत के बल पर आर्किमिडीज़ ने युद्ध में काम आने वाली मशीनों का निर्माण किया था । इतना ही नहीं , उन्होंने विशाल दर्पणों के प्रयोग से सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करके शत्रु के जहाजों में आग लगा दी और उन्हें समुद्र में नष्ट कर दिया । किंतु रोम के आक्रमण के बाद सिराक्यूज़ अपनी रक्षा न कर सका । रोम के सिपाहियों ने वहाँ कब्जा कर लिया ।

एक दिन वह घर पर बैठे आँगन में ज्यामितीय आकृतियों पर विचार कर रहे थे । अचानक एक रोमन सिपाही घुस आया । आर्किमिडीज़ ने कहा- ‘ इन्हें मत मिटाना ‘ । इस पर सिपाही ने आर्किमिडीज़ जैसे महान् वैज्ञानिक के जीवन को ही मिटा दिया । आर्किमिडीज़ ने विज्ञान को जो कुछ दिया वह आज भी शाश्वत है और वैज्ञानिक उनके ऋणी हैं ।