Anna Mani Biography in Hindi – अन्ना मनी 2022

Anna Mani Biography in Hindi :- प्रो . अन्ना मनी भारतीय महिला वैज्ञानिकों में अत्यंत प्रसिद्ध रही है । उन्होंने रुढ़ियों व परंपराओं को तोड़ कर उच्च शिक्षा प्राप्त की और विज्ञान जगत में भारत का गौरव बढ़ाया । अन्ना का जन्म 1918 में केरल के त्रावणकोर में हुआ था ।

बचपन से ही उन्हें पुस्तकें पढ़ने का विशेष शौक था । वह प्रत्येक विषय की बहुत रुचि व गंभीरता से पढ़ती थीं । उन्हें विज्ञान जगत में विशेष रुचि थी , इसलिए उन्होंने 1939 में मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज से भौतिकी व रसायन जैसे कठिन विषय लेकर बी . एस . सी . ( ऑनर्स ) की शिक्षा प्राप्त की ।

Anna Mani Biography in hindi

उनकी प्रतिभा व योग्यता के कारण अगले ही वर्ष 1940 में उन्हें बंगलौर के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस में भौतिकी में शोध कार्य हेतु स्कॉलरशिप मिल गई । किस्मत की धनी अन्ना को भारत के नोबल पुरस्कार विजेता सी . वी . रमन के साथ काम करने का अवसर मिला ।

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वही उनके गाइड थे । अन्ना को हीरों व माणिक्यों की प्रकाशीय विशेषताओं पर शोध कार्य करना था । गहन परिश्रम व अध्ययन के बाद 1942 से 1945 के दौरान अन्ना ने हीरों व माणिक्यों की प्रदीप्ति अर्थात् चमक पर पांच शोध पत्र तैयार किए । 1945 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय में अपनी पी – एच . डी . का खोजपूर्ण निबंध प्रस्तुत किए ।

उन्हें पी – एच . डी . की उपाधि तो मिली , साथ ही उन्हें लंदन में इंटर्नशिप के लिए सरकार द्वारा स्कॉलरशिप भी प्रदान की गई । उन्होंने लंदन में मौसम विज्ञान संबंधी उपकरणों में विशेषज्ञता हासिल की । अगले दो वर्ष उन्होंने हैरोव के मौसम विज्ञान कार्यालय में ही व्यतीत किए और कार्य करती रहीं । 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ और अन्ना 1948 में वापस भारत आ गईं ।

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यहां आकर उन्हें पुणे के भारतीय मौसम विभाग में नियुक्ति मिली । उनका कार्य अपने निर्देशन में रेडिएशन उपकरण निर्मित करवाना था । उनके कार्यों व लगन के कारण 1953 में उन्हें विभागाध्यक्ष का पद सौंपा गया । अन्ना ने कई विषयों पर शोधपत्र लिखे और प्रकाशित करवाए । वह उपकरणों की तुलना की प्रत्येक विषय में रुचि से काम करती थीं ।

उन्होंने वायुमंडलीय ओजोन , अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकता , मौसम विज्ञान संबंधी उपकरणों का राष्ट्रीय मानवीकरण जैसे विषयों पर भी शोधपत्र लिखे । 1976 में वह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से उप महानिदेशक के पद से सेवामुक्त हो गई । किंतु फिर भी उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करना नहीं छोड़ा । वह रमन शोध संस्थान में तीन वर्षों तक अतिथि प्रोफेसर ( विजिटिंग प्रोफेसर ) के रूप में कार्य करतीं रहीं ।

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अगले 20 वर्षों तक उन्होंने ‘ भारत में वायु तथा सौर विकिरण का ऊर्जात्मक महत्व ‘ विषय पर काम किया । अपने वैज्ञानिक कैरियर के दौरान वह कई संस्थाओं से जुड़ी रहीं , जिनमें विश्व मौसम विज्ञान संगठन ( डब्ल्यू . एम . ओ . ) तथा इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर मीट्रियो – लॉजी एंड एटमॉसफेरिक फिजिक्स ( अंतर्राष्ट्रीय मौसम विज्ञान तथा वायुमंडलीय भौतिकी संस्थान ) प्रमुख हैं ।

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1967 में उन्होंने ( डब्ल्यू . एम . ओ . ) सचिवालय में लगभग 3 महीने रहकर कार्य किया । यहां उन्होंने ‘ गाइड टू मीट्रियोलॉजिकल इंस्ट्रूमेंट एंड आब्जरविंग प्रैक्टिस ‘ को फिर से लिखा । किंतु इससे पूर्व 1975 में वह मिस्र में डब्ल्यू . एम . ओ . सलाहकार के तौर पर भी कार्य कर चुकी थी । यहां उन्होंने राष्ट्रीय विकिरण केंद्र , विकिरण स्टेशन नेटवर्क के विकास पर परामर्श दिए तथा विकिरण पर शोध किए ।

विभिन्न मौसम संबंधी उपकरणों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुलना करने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया । कई शोध पत्रों व लेखों के अलावा उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखीं । 1980 में ‘ हैंडबुक फॉर सोलर रेडिएशन डॉटा फार इंडिया ‘ तथा 1981 में ‘ सोलर रेडिएशन ओवर इंडिया ‘ । मौसम विज्ञान के अलावा उन्होंने भौतिकी के क्षेत्र में भी शोध कर अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

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अन्ना को वायुमंडलीय ओजोन के क्षेत्र में शोध व अनुसंधान करने में विशेष रुचि थी । इसलिए उन्होंने इस क्षेत्र में 30 वर्षों से अधिक कार्य किया । इस खोजपूर्ण व रोचक उपलब्धि के लिए 1987 में उन्हें के . आर . रंगानाथन पदक प्रदान किया गया ।

यह पदक भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान एकेडमी ने प्रदान किया था और अन्ना स्वयं इसकी फेलो भी थीं । कई वर्षों तक भौतिकी , मौसम विज्ञान व भूगोल संबंधी क्षेत्रों में शोध व अनुसंधान करने वाली इस अग्रणीय महिला वैज्ञानिक का 16 अगस्त 2001 में निधन हो गया ।

अन्ना मणि की शिक्षा Anna Mani Biography in Hindi

अपने शुरुआती दिनों में, वह एक नर्तकी बनना चाहती थी लेकिन अपने परिवार की खातिर, उसने नर्तकी में करियर न बनाने का फैसला किया, उसने अपने मन की बात समझाई और भौतिक विज्ञान में अपना करियर बनाने का फैसला किया क्योंकि वह उस विषय को पसंद करती थी।

1939 में, उन्होंने चेन्नई (तत्कालीन मद्रास) में पचैयप्पा कॉलेज से भौतिकी और रसायन विज्ञान में बी.एससी ऑनर्स की डिग्री के साथ स्नातक किया।

वर्ष 1940 में, उन्हें भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर में शोध के लिए छात्रवृत्ति मिली। 1945 में, वह भौतिकी में स्नातक की पढ़ाई करने के लिए इंपीरियल कॉलेज, लंदन चली गईं। हालाँकि, वह मौसम संबंधी उपकरणों में विशिष्ट थी।

अन्ना मणि की उपलब्धियां Anna Mani Biography

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने उन्हें उनकी 100वीं जयंती पर याद किया और अन्ना के साक्षात्कार के साथ उनके जीवन की रूपरेखा प्रकाशित की।
  • 23 अगस्त 2022 को गूगल ने मणि को उनकी जयंती पर गूगल डूडल बनाकर सम्मानित किया।

करियर – Anna Mani Biography

  • पचाई कॉलेज से स्नातक करने के बाद, उन्होंने प्रो। सीवी रमन के तहत काम किया, माणिक और हीरे के ऑप्टिकल गुणों पर शोध किया।
  • उन्होंने पांच शोध पत्र लिखे और अपना पीएचडी शोध प्रबंध प्रस्तुत किया, लेकिन उन्हें पीएचडी की डिग्री नहीं दी गई क्योंकि उनके पास भौतिकी में मास्टर डिग्री नहीं थी।
  • वर्ष 1948 में भारत लौटने के बाद, वह पुणे में मौसम विज्ञान विभाग में शामिल हो गईं। उन्होंने मौसम संबंधी उपकरणों पर कई शोध पत्र प्रकाशित किए।
  • वह मौसम संबंधी उपकरणों की व्यवस्था करने के लिए जिम्मेदार थी, जो ज्यादातर ब्रिटेन से आयात किए जाते थे। 1953 तक, वह 121 पुरुषों के साथ विभाग की प्रमुख बन गई थीं।
  • अन्ना मणि भारत को मौसम यंत्रों में स्वतंत्र बनाना चाहते थे। उन्होंने लगभग 100 विभिन्न मौसम यंत्रों के चित्रों का मानकीकरण किया।