A. S. Rao Biography in Hindi -अय्यगिरी साम्बशिव राव 2022

A. S. Rao Biography in Hindi :- डॉ . ए . एस . राव ने प्रयोगात्मक भौतिकी के क्षेत्र के शोध व अनुसंधान कार्य किए । किंतु उनका रुचिकर अनुसंधान विषय इलैक्ट्रॉनिकी तथा अंतरिक्ष विकिरण रहा । जन्म व शिक्षा डॉ . ए . एस . राव का जन्म 20 सितंबर 1914 को आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले स्थित मोगल्लू नामक स्थान पर हुआ ।

उनका पूरा नाम अय्यागरी संबाशिवा राव था । उनके पिता का नाम अय्यागरी वेकटाचालम था । प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 1937 में बी . एस . सी . की उपाधि प्राप्त की और 1939 में बनारस विश्वविद्यालय से ही एम . एस . सी . की शिक्षा पूरी की ।

A. S. Rao Biography in Hindi

उन्होंने 1940 से 48 तक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लेक्चरर के पद पर रह कर अध्यापन कार्य किया । वह इंजीनिरिंग की उच्च शिक्षा व अध्ययन के लिए कैलिफोर्निया चले गए । कैलिफोर्निया के स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से उन्होंने 1947 में मास्टर आफ इंजीनियरिंग की परीक्षा पास की । अध्यापन व अनुसंधान स्टेनफोर्ड विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की शिक्षा लेकर वह स्वदेश लौट आए और अध्यापन व अनुसंधान कार्यों में लग गए ।

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स्वदेश आते ही उन्हें 1948 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च में भौतिकी के रीडर पद पर नियुक्ति मिल गई । इस संस्थान में वह इलेक्ट्रॉनिकी के साथ – साथ अंतरिक्ष विकिरण जैसे विषय पर भी अनुसंधान करने लगे । टाटा इंस्टीट्यूट में कार्य करते हुए उन्होंने सर्वोच्च स्थान ( हाई एल्टीट्यूट ) में कॉस्मिक किरणों पर गहन अनुसंधान किया ।

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1954 में उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट से कार्य समाप्त कर ट्रांबे स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र में निदेशक का पद भार संभाला । वह इस पद पर 1973 तक कार्य करते रहे । उन्होंने एक लाख फीट से अधिक ऊंचाई तक अंतरिक्ष किरणों की तीव्रता नापने संबंधी प्रयोग भी किए । इसी अवधि में वह भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के निदेशक पद पर भी कार्यभार संभालते रहे । भाभा केंद्र में रहकर उन्होंने देश के परमाणु कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

उन्होंने भारत के दो प्रमुख संयंत्रों अप्सरा व जरनीला के डिजाइन , निर्माण तथा नियंत्रण व्यवस्था व संचालन में अभूतपूर्व योगदान व मार्गदर्शन प्रदान किया । उन्होंने यहां विकिरण सुरक्षा विभाग की स्थापना की , जो रेडियोधर्मिता से संबंधित कार्य करने वाले संस्थानों को सेवाएं प्रदान करता है । उन्होंने परमाणु विस्फोटों से उत्पन्न रेडियोधर्मिता के प्रभाव को मापने के लिए देश में कई केंद्रों की स्थापना भी की ।

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उनके निर्देशन में ही परमाणु ऊर्जा प्रतिष्ठान के इलेक्ट्रॉनिक विभाग का तीव्र विकास हुआ और उन्होंने अति विकसित उपक का निर्माण किया । फेलो व वैज्ञानिक संस्थाओं की सदस्यता डॉ . राव देश – विदेश की कई वैज्ञानिक संस्थाओं के फेलो व सदस्य भी रहे । कई संस्थानों ने उन्हें अपनी कार्यकारिणी परिषद का सदस्य भी मनोनीत किया ।

भारत में भारतीय विज्ञान अकादमी तथा आंध्र प्रदेश विज्ञान अकादमी जैसी संस्थाओं ने उन्हें अपना फेलो नियुक्त किया । इसके अलावा वह भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक आयोग के सदस्य भी रहे । उन्होंने यूनेस्को तथा एफ . ए . ओ . के विशेषज्ञ के रूप में भी कार्य किया ।

सम्मान व पुरस्कार

A. S. Rao Biography in Hindi :-भौतिक विज्ञान तथा इलेक्ट्रॉनिक्स में डॉ . राव के योगदान के लिए उन्हें विभिन्न सम्मान व पुरस्कार प्रदान किए गए । उन्हें सर्वप्रथम सम्मान 1960 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री के रूप में दिया गया जो कि भारत को परमाणु संपन्न बनाने में योगदान के लिए दिया गया था । 1965 में उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार , 1972 में पद्मभूषण तथा 1976 में फिक्की सम्मान दिया गया ।

1977 में भारत के इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्स ने उन्हें राष्ट्रीय डिजाइन सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया । 1969 में आंध्र प्रदेश के आंध्र विश्वविद्यालय ने उन्हें डी . एस . सी . की मानद उपाधि प्रदान की ।