अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जीवन परिचय | Alexander Graham Bell Biography

नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका हमारे इस नए लेख में आज हम आपको अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जीवन परिचय (Alexander Graham Bell Biography) जी के जीवनी के बारे में बताने जा रहे है। अगर आप अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जीवन परिचय (Alexander Graham Bell Biography) के बारे में जानना चाहते हैं तो कृपया इस लेख को आगे तक जरूर पढ़ें।

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जीवन परिचय | Alexander Graham Bell Biography

 ग्यारह मार्च 1876 का दिन था । अमेरिका में बोस्टन के एक होटल में अलेक्जेंडर ग्राहम बेल अपने प्रयोग कर रहे थे । तभी उनके सहायक वाट्सन नै , जो दूसरे कमरे में काम कर रहा था , ग्राहम बेल की आवाज सुनी— ” वाट्सन , यहाँ आओ । मुझे तुम्हारी जरूरत है । ” तारों के माध्यम से भेजे गए संदेश के यही प्रथम वाक्य थे और इस तरह टेलीफोन के आविष्कार द्वारा ग्राहम बेल ने आधुनिक जीवन की एक नई शुरुआत कर दी थी । आज टेलीफोन मानव जीवन , समाज और व्यवस्था के लिए एक महत्त्वपूर्ण जरूरत बन चुका है ।

अलेक्जेंडर ग्राहम बेल का जन्म इंग्लैंड के एडिनबर्ग में हुआ था । उनकी पढ़ाई एडिनबर्ग और लंदन में हुई । उनके पिता अलेक्जेंडर मेलविल बेल गूंगे – बहरों के प्रसिद्ध शिक्षक थे । उन्होंने संकेतों के माध्यम से बोलने का तरीका ईजाद किया था । ग्राहम बेल ने भी पिता का ही पेशा अपनाया और गूंगे बहरों को पढ़ाने लगे ।  सन् 1870 में बेल परिवार कनाडा चला आया । ग्राहम बेल भी चले गए । 

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Alexander Graham Bell Biography

वहाँ भी उन्होंने गूंगे – बहरों को पढ़ाना शुरू किया । इस दौरान ग्राहम बेल ने ऐसा यंत्र बनाने का इरादा किया जिससे लोगों को ठीक से बोलना सिखाना संभव हो जाए । इस यंत्र को तैयार करने के लिए जरूरी था कि ध्वनि का सिद्धांत और टेलीग्राफी का सिद्धांत समझा जाए ।

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इसके बाद ग्राहम बेल अपना यंत्र बनाने में जुट गए । इस काम में उनके एक शिष्य ने सहायता भी की । किंतु वह यंत्र नहीं बन पाया । हाँ , इन प्रयोगों के दौरान उनके मस्तिष्क में यह विचार अवश्य आया कि क्या तारों के द्वारा , दूर बैठे इंसान से बातें करना संभव है ? वह ऐसा ही एक उपकरण बनाने का प्रयत्न करने लगे । एक दिन उनकी भेंट हुई एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थॉमस वाट्सन से । वाटसन को ध्वनि एवं टेलीग्राफी के सिद्धांतों का अच्छा ज्ञान था । वह भी ग्राहम बेल का इरादा सुनकर खुश हुआ ।

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वाट्सन और ग्राहम बेल की भेंट जल्दी – जल्दी होने लगी । दोनों अच्छे दोस्त बन गए । वाट्सन आकर उनकी सहायता करने लगा । ग्राहम बेल जिस तरह से पुर्जे का ड्राइंग बनाकर देते , थॉमस वाट्सन उसी तरह पुर्जा बनाकर दे देता । आखिर अचानक वह दिन आया जब कि ग्राहम बेल ने टेलीफोन बनाने में सफलता प्राप्त कर ही ली ।

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2 जून , 1876 को टेलीफोन बनाने के बाद ग्राहम बेल ने सबसे पहल टेलीफोन लगाया कनाडा के ब्रेन्टफोर्ड में , जहाँ उसके पिता रहते थे । इसके बाद बेल ने अपने इस यंत्र को अनेक देशों में जाकर प्रदर्शित किया । फिर तो सारी दुनिया ग्राहम बेल का नाम फैल गया ।

अब तक ग्राहम बेल अविवाहित ही थे । सन् 1877 में उन्होंने विवाह कर लिया । लेकिन टेलीफोन का काम चालू रहा । उन्होंने जब फिलाडेल्फिया में अपने आविष्कार का प्रदर्शन किया तो ब्राजील के सम्राट उस यंत्र को देखकर आश्चर्यचकित रह गए थे । उन्होंने बेल को बधाई देते हुए कहा— “ तुमने संसार की एक अद्भुत वस्तु का निर्माण किया है । निस्संदेह , इसके प्रयोग से दुनिया के लोगों की जीवन – दशा में परिवर्तन आएगा ।

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 ” ग्राहम बेल को विज्ञान जगत् ने इस आविष्कार के लिए सम्मानित किया । इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया ने भी उन्हें सम्मानित किया था । उन्होंने स्वयं भी इस यंत्र का प्रयोग करके आनंद उठाया था । 

इसके बाद टेलीफोन के उपकरण में बहुत प्रगति हुई । धरती पर तो टेलीफोन का जाल फैला ही , समुद्र के अंदर तार बिछाकर भी एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक टेलीफोन का जाल बिछ गया । आज क्या महानगर , क्या शहर , क्या कस्बा और क्या गाँव – सब जगह टेलीफोन पहुँच चुका है । 

दिल्ली या किसी शहर में बैठा व्यक्ति अमेरिका के किसी व्यक्ति से टेलीफोन पर ऐसे बात कर सकता है जैसे वह अपने पड़ोसी से बातें कर रहा हो । ग्राहम बेल ने इसके बाद भी विज्ञान संबंधी प्रयोग जारी रखे । 75 वर्ष की आयु में , सन् 1992 में उनका निधन हो गया ।