नमस्कार दोस्तों स्वागत हैं आपका हमारे इस नए लेख में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर Radium ki khoj kisne ki thi? जब भी आप रात में गाड़ी चलते होंगे तो सोचते होंगे कि आखिर इस Radium ki khoj kisne ki होगी जो रात में बिना बिजली के चमकता है।
दोस्तों अगर आप नहीं जानते कि रेडियम कि खीज किसने कि तो आप इस लेख को कृपया पूरा पढ़ें क्योंकि मै आज इस लेख में आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देने जा रहा हूँ।
Radium ki khoj kisne ki thi?
दोस्तों, Radium की खोज एक वैज्ञानिक दंपत्ति ने की थी। मैरी क्यूरी, जिनका जन्म पोलैंड में हुआ था वो अपनी पढ़ाई के सिलसिले में पेरिस (फ्रांस) शिफ्ट हो जाती हैं, यहीं पर उनकी मुलाकात पियरे क्यूरी से होती है, जो संयोग से एक वैज्ञानिक थे।
दोनों विश्वविद्यालय की लैबोरेटरी में एक साथ काम करने लगते हैं और बाद में उनकी शादी भी हो जाती है। इसी दौरान सन् 1898 में मैरी और पियरे ने रेडियम की खोज की तथा सन् 910 में उन्होंने इसे पहली पहली बार एक शुद्ध धातु के रूप में अलग कर लिया।
शुद्ध धातु के रूप में स्थापित हो जाने के तुरंत बाद यानि 1911 में ही उन्हें भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दे दिया गया। मैरी ने अपना पुरुस्कार अपने पति पियरे क्यूरी के साथ शेयर किया अतः हम कह सकते हैं कि मैरी क्यूरी और पियरे क्यूरी ने रेडियम की खोज की।
दोस्तों, रेडियम एक रेडियोधर्मी धातु है अर्थात बिना किसी बाह्य ऊर्जा के इस धातु से रेडियेशन (विकिरण) निकलता ही रहता है, ऐसा परमाणु नाभिकीय के कारण होता है। किसी कारणवश इसके परमाणु अस्थिर हो जाते हैं और अपनी ऊर्जा को विकिरण के रूप में स्वयं ही प्रसारित करने लगते हैं।
तत्वों की आवर्त सारणी पर इसे ‘Ra’ के नाम से दर्शाया गया है। अपनी इसी अलौकिक गुण के कारण रेडियम अपने खोज के बाद से ही वैज्ञानिकों तथा आम-जनमानस के बीच कौतूहल का विषय रहा है।
रेडियम की खोज कैसे हुई? (Radium ki khoj kisne ki thi)
सन् 1895 में W.C. Röntgen नाम के जर्मन वैज्ञानिक ने X-Ray का आविष्कार किया था। बाद में हेनरी बेकरेल नाम के वैज्ञानिक इसी X-Ray का गहराई से अध्ययन रहे थे, अपनी रिसर्च के दौरान उन्होंने पाया कि यूरेनियम के साल्ट पर प्रकाश किरणों का एक विशेष प्रभाव होता है।
यूरेनियम लवण अनायास ही एक विशिष्ट विकिरण का उत्सर्जन करता है जिसे एक फोटोग्राफिक प्लेट पर नोटिस किया जा सकता है। आगे और अध्ययन करने पर यह पता चला कि ये विकिरण X-Ray से जुड़ा हुआ नहीं बल्कि कुछ नया विकिरण है, इसे ही रेडियोधर्मिता कहा गया।
बेकरेल की इस थ्योरी के बाद इस क्षेत्र मे वैज्ञानिकों की रूचि और बढ़ी। मैरी ने इन रहस्यमयी “यूरेनियम किरणों” की जांच करने का मन बना लिया। उनके पास कमजोर विद्युत धाराओं को मापने के लिए इलेक्ट्रोमीटर नामक यंत्र था जिसका अविष्कार पियरे और उसके भाई ने ही किया था। दोनों ने जब अपनी यात्रा प्रारंभ की तो आश्चर्यजनक परिणाम आने में ज्यादा समय नहीं लगा।
मैरी ने पाया कि थोरियम भी यूरेनियम के समान ही किरणें देता है। विभिन्न रासायनिक यौगिकों के अध्ययन से यह साबित हुआ कि विकिरण की ताकत उस यौगिक पर निर्भर नहीं करती जिसका अध्ययन किया जा रहा है बल्कि यह केवल यूरेनियम या थोरियम की मात्रा पर निर्भर करता है।
एक ही तत्व के रासायनिक यौगिकों में आम तौर पर अलग-अलग रासायनिक और भौतिक गुण होते हैं, जैसे कि यूरेनियम का एक यौगिक गहरे रंग का पाउडर है तो दूसरा यौगिक एक पारदर्शी पीला क्रिस्टल।
हालाँकि उन यौगिकों के द्वारा दिए गए विकिरण के लिए जो उत्तरदायी था वह केवल यूरेनियम की मात्रा थी। मैरी ने निष्कर्ष निकाला कि विकिरण करने की क्षमता एक अणु में परमाणुओं की व्यवस्था पर निर्भर नहीं करती है, इसे परमाणु के आंतरिक भाग से ही जोड़ा जाना चाहिए।
यह खोज बिल्कुल क्रांतिकारी थी। वैचारिक दृष्टिकोण से यह भौतिकी के विकास में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। मैरी ने अब पूरी Periodic टेबल के तत्वों के साथ यही प्रक्रिया दोहराकर देखी उन्होंने पाया कि केवल यूरेनियम और थोरियम ने ही यह विकिरण उत्सर्जित किया था।
मैरी की सफलता से प्रभावित होकर पियरे ने भी इस काम में उनका हाथ बँटाना शुरू कर दिया जो स्वयं भी एक वैज्ञानिक थे। उन्होंने पाया कि Bismuth या Barium युक्त अंशों के साथ ही यह गतिविधि सामने आ रही है।
जब मैरी ने Bismuth अंशों का अपना विश्लेषण जारी रखा, तो उन्होंने पाया कि जब भी वो Bismuth की मात्रा को निकालने में कामयाब होती हैं, तो अधिक गतिविधि वाला एक अवशेष पीछे छूट जाता है यही रेडियम था। जून 1898 के अंत में, उनके पास एक नया पदार्थ था जो यूरेनियम की तुलना में लगभग 300 गुना अधिक सक्रिय था।
जुलाई 1898 में उन्होंने जो शोध-पत्र प्रकाशित किया, उसमें वे लिखते हैं कि “हमने जो पदार्थ निकाला है, उसमें एक ऐसा धातु है जिसे पहले कभी नहीं देखा गया है ना ही हमें इस पदार्थ के बारे में कोई जानकारी थी! यदि इस नई धातु के अस्तित्व की पुष्टि हो जाती है तो हम चाहते हैं कि इसका नाम ‘पोलोनियम’ रखा जाए क्योंकि हममें से एक (मैरी क्यूरी) के मूल देश का नाम (पोलैंड) है।
इस शोध-पत्र में उन्होंने पहली बार रेडियोधर्मिता शब्द का प्रयोग किया था। कुछ और महीनों की रिसर्च के बाद क्यूरीज़ ने 26 दिसंबर सन् 1898 को विज्ञान विभाग को सूचित किया कि उन्होंने एक अतिरिक्त, बेहद सक्रिय पदार्थ की पुष्टि कर ली है जो रासायनिक रूप से लगभग शुद्ध बेरियम की तरह व्यवहार करता है, उन्होंने नये तत्व के लिए ‘रेडियम’ का नाम सुझाया।
रेडियम के उपयोग फायदे Benefits of radium in Hindi
रेडियम से कैंसर को हराने में मिली सफलता के अलावा रेडियम के चमकते स्वभाव के कारण इसके अन्य उपयोग और लाभ इस प्रकार हैं-
- रेडियम का उपयोग कपड़ों को रंगने और सुइयों को देखने के लिए किया जाता था।
- रेडियम का उपयोग चिकित्सा कारणों से भी किया जाता है।
- रेडियम का उपयोग कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों की दवा बनाने में भी किया जाता है।
- रेडियम का उपयोग दंत मंजन हेयर क्रीम में भी किया जाता है।
रेडियम के नुकसान Disadvantages of Radium in Hindi
पुराने समय में रेडियम का इस्तेमाल पेंट कपड़ों एवं घड़ी की सुई बनाने में किया जाता था लेकिन वर्तमान समय में इसमें रेडियोधर्मी प्रवृत्ति के मौजूद होने की वजह से होने वाले विकिरण के नुकसान सामने आए हैं जिसके चलते इसका इस्तेमाल वर्तमान समय में पेंट कपड़ा दवाइयों में इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है।
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आज आपने क्या सीखा?
तो दोस्तों आज कि इस लेख में मैंने आपको रेडियम के बारे में पूरी जानकारी दी कि इसके नुकसान व फायदे क्या क्या हैं तथा Radium ki khoj kisne ki thi इसके बारे में पूरी जानकारी दी अगर आपको मेरा यह लेख Radium ki khoj kisne ki thi अच्छा लगता हैं तो कृपया अन्य लोगों तह भी शेयर करें।
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