Geeta Updesh Quotes (गीता उपदेश सूक्ति वाक्य 2023)

गीता कर्म ज्ञान (Geeta)

अगर तुम शंका मे ही डुबे रहते हो तो ,तुम्हारे रिश्ते कि लंका बहुत जल्द जलने वाली हैं ।

जो व्यवहार आपको दूसरों का पसंद ना हो ,वैसा व्यवहार आप दूसरों के साथ भी ना करो ।

आप ही अपना मित्र और अपना शत्रु है ,क्योंकि स्वयं का पतन और उद्धार दोनो आप ही निर्धारित करते हो।

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याद रखना अगर बुरे लोग सिर्फ समझाने से समझ जाते तो बाँसुरी बजाने वाले कभी महाभारत होने नहीं देते ।

गीता मे कहा गया है कि जो इंसान दूसरों की कमी को पूरा करता ,वो सही अर्थों मे महान होता हैं ।

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गीता के अनुशार जिंदगी मे कितने सही है और कितने गलत है यह केवल दो लोग जानते है ,एक परमात्मा और एक अंतरात्मा ।

 

गीता उपदेश

जब तक शरीर हैं तब तक कमजोरियाँ तो रहेगी ही इसलिए कामजोरियों को छोड़ो ,जो सही कर्म है उस पर ध्यान लगाओ ।

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किसी का अच्छा न कर सको तो बुरा भी ना करो क्योंकि दुनिया कमजोर है लेकिन दुनिया बनाने वाला नहीं ।

सच्चा धर्म यह है कि जिन बातों को इंसान अपने लिए अच्छा नहीं समझता उन्हे दूसरे के लिए भी प्रयोग न करे ।

मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन लेकिन अभ्यास से इसे वश मे किया जा सकता है ।

मन की शांति से बड़कर कोई संपत्ति नहीं हैं ।

कोई भी इंसान अपने जन्म से नहीं बल्कि अपने कर्म से महान बनता हैं ।

बिना फल की कामनाये ही सच्चा कर्म है ईश्वर चरण मे हो समर्पण वही केवल धर्म है ।

गीता मे लिखा है कि जब इंसान कि जरूरत बदल जाती है तो इंसान कि बात करने का तरीका भी बदल जाता हैं ।

चुप रहने से बड़ा कोई जवाब नहीं और माफ कर देने से बड़ा कोई सजा नहीं ।

श्री कृष्ण उवाच (गीता)

सदैव संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए प्रश्नता ना इस लोक मे है ना ही कही और ।

जो मन को नियंत्रित नहीं कर सकते ,उनके लिए मन शत्रु के समान कार्य करता हैं ।

गीत मे कहा है कि कोई भी अपने कर्म से भाग नहीं सकता कर्म का फल भुगतना ही पड़ता हैं ।

जब इंसान अपने काम मे आनंद खोज लेता है तब वे पूर्णता प्राप्त कर लेते हैं ।

माफ करना और शांत रहना सीखिए ऐसी ताकत बन जाओगे की पाहड़ भी रास्ता देगी ।

इतिहास कहता है कि कल सुख था ,विज्ञान कहता है कि कल सुख होगा ,लेकिन धर्म कहता है कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा ।

ज्यादा खुशी होने पर और ज्यादा दुखी होने पर निर्णय नहीं लेना चाहिए ,क्योंकि दोनों परिस्थितिया आपको सही निर्णय नहीं लेने देती ।

जो होने वाला है वो होकर ही रहेगा ,और जो नहीं होने वाला है वो कभी नहीं होता ऐसा,निश्चय जिनकी बुद्धि मे होता है ,उन्हे चिंता कभी नहीं सताती हैं ।

जिस मनुष्य के पास सब्र का ताकत उस मनुष्य का ताकत का कोई मुकाबला नहीं कर सकता ।


गीता के रहस्य 

इंसान हमेसा अपने भाग्य को कोसता है यह जानते हुए भी भाग्य से भी उचा उसका कर्म है जो कि स्वयं के हाथों मे है ।

ना ये शरीर तुम्हारा है और ना तुम इस शरीर के मालिक हो और यह पाँच तत्वों से मिलकर बना है -आग ,जल ,वायु ,पृथ्वी और आकाश एक दिन यह शरीर इन्ही पाँच तत्वों मे विलीन हो , जाएगा । 

क्यों कहते हो कि जीवन मे दुखों का कोई दान नहीं ,गीता पढ़ लो फिर देखना कोई कर्मों का निदान नहीं । 

आपके द्वारा किया गया व्यवहार ये दिखाता है कि आपको संस्कार कैसे मिले है । 

गीता और कुरान सब एक ही संदेश देते है सत्य को जानो यही श्री हरी विष्णु कहते है । 

गीत ज्ञान का धार है गीता जीवन का सार है ज्ञान से प्रसिद्ध गुप्त पीवत है आत्मा तृप्त है 

जब से श्री मद भागवत गीता को अपने जीवन मे उतारा है तब से जिंदगी मे धन दौलत और सुख शांति का उजियारा है । 

यह अर्जुन की दुविधा है की श्री कृष्णा की महिमा है ,गीता कर्म की प्रतिभा है भक्ति की गरिमा है । 

जिस इंसान के मन मे श्रद्धा और आशाये होती है वो जीवन की हर परिस्थिति मे जीतता है । 

तरकस मे तीर निकालने वाला हर कोई योद्धा महान  नहीं होता इस संसार मे अर्जुन जैसा धनुर्धर नहीं होता ।

जब न्याय का फैसला सत्य के पक्छ् मे ना हो तो ,शस्त्  उठाना हो जाता हैं।

कुरूक्षेत्र से एक ज्ञान मिला जिसे हम गीता कहते है ,जनकपुर से एक देवी मिला जिसे हम सीता मैया कहते है । 

आओ तुम भी मेरा गीता पढ़ो ,मैं भी तेरा कूरान पढ़ता हूँ ,आओ तुम भी आरती करो मैं भी आहान करता हूँ । 

युद्द भूमि मे गीत ने ही सबको राह दिखाई है गीता के बिना यहाँ किसने मुक्ति पाई हैं। 

गीत उपदेश  (Geeta Quotes)

तुलसी पूजन कीजिए ,रख गीता को हाथ नीज अस्थिव ना खोईए रहे संस्कृति के साथ । 

संसार मे कोई भी वस्तु ना तो सुंदर होती है और ना ही खराब बस देखने का नजरिया ही करती है उसका हिसाब । 

मन को अगर अर्जुन सा जिज्ञासु बना ले तो अप की चेतना अपने अप ही जग जाएगी ।

सत्य काभी दावा नहीं करता की मैं सत्य हूँ ,लेकिन झूठ हमेशा दावा करता है की सिर्फ मैं ही सत्य हूँ 

सही कर्म वह नहीं जिसका परिणाम हमेशा सही हो अपितु सही कर्म वह है जिसका उद्देश्य कभी गलत ना हो । 

जन्म लेने वाले के लिए मृत्यु उतनी ही निश्चित है ,जितना की मृत होने वाले के लिए जन्म लेना ,इसलिए जो अपरिहाये है उसके लिए शोक ना करे । 

धरती पर जिस प्रकार मौसम मे बदलाव आता है उसी प्रकार सुख – दुख  का आना जाना लगा रहेता हैं । 

हे अर्जुन तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो ,तुम क्या लाए थे जो तुमने खो दिया ,तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया तुमने जो लिया यही से लिया है ,जो दिया यही पर दिया जो आज तुम्हारा है कल किसी और का होगा यही संसार का नियम है । 

जब जब इस धरती पर पाप,अधर्म और अहंकार बढ़ेगा तो उसे विनाश करने पुनः धर्म की स्थापना हेतु ,मैं a